10/2025, बाल कहानी- 28 जनवरी


बाल कहानी- पुस्तकें 
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रीना और टीना दो बहनें हैं, जो छुट्टियों में माँ के साथ नानी के घर घूमने आयी हैं। रीना अपने साथ बहुत से खिलौने लायी है। सबको दिखा रही है-, "देखिए, ये प्यारे-प्यारे खिलौने! पिताजी मेरे जन्म-दिन पर लाये थे।"
नानी बोली-, " सचमुच बहुत अच्छे हैं खिलौने! टीना बेटा! तुम क्या लायी हो?" 
"नानी हम बहुत सारी पुस्तकें लाये हैं, जो मुझे बहुत प्रिय हैं। खिलौने तो किसी भी प्रकार से मुझे मिल जायेंगे। हम खेल लेंगे, पर ये पुस्तकें जिन्हें हम रोज पढ़ते हैं, शायद ये हमें न मिलती, इसलिए हम इसे साथ लाये हैं।"
टीना की बात सुन रीना हँसने लगी। "क्या दीदी आप भी! हम सब यहाँ नानी के घर छुट्टियों में घूमने आये हैं, न कि पढ़ने? और हाँ दीदी! एक बात और सुन लीजिए। हम आपको अपने खिलौने नहीं देंगे।"
"तुम फिक्र न करो रीना! हम तुम्हारे खिलौने नहीं लेंगे। हम बगैर खिलौने ही कोई खेल खेलेंगे। खिलौने के बगैर हम रह सकते हैं, पर मैं पढ़ाई किए बिना नहीं रह सकती हूँ। ये मेरी प्रिय पुस्तकें हैं। हम इन्हें हर रोज भले ही जरा-सा पढ़ें, पर पढ़ेंगे जरूर।"
इतना कहकर टीना चुप हो गयी।
तभी नानी ने आवाज लगायी-, "आओ! सभी लोग मिलकर भोजन करते हैं। मैंने तुम सबकी पसन्द का भोजन बनाया है।"
रीना नानी की बातें सुनकर बहुत खुश हुई। रीना बोली-, "चलो दीदी! नानी बुला रही है। स्वादिष्ट भोजन की खुशबू आ रही है। भोजन करने के बाद हम गाँव में टहलेंगे। उसके बाद आप जब पढ़ेंगी, हम आपके साथ ही पढ़ेंगे, जैसे घर पर पढ़ते थे। उसके बाद साथ खेलेंगे।"
रीना की बात सुनकर टीना की खुशी का ठिकाना न रहा। बहनों का प्यार देखकर नानी बहुत खुश हुई। नानी ने दोनों बच्चों को गले से लगाकर खूब आशीर्वाद दिया, फिर सबने मिलकर भोजन किया।

#संस्कार_सन्देश- 
हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए।

कहानीकार-
#शमा_परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया 
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

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