006/2025, बाल कहानी- 23 जनवरी
बाल कहानी- माँझा
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गर्मी आ गई थी। कुछ युवकों ने सोचा कि चलो पतंग उड़ाने का मौसम आ गया है। खुला आसमान है। क्यों न पतंग उड़ायें? केशव और मनोज नामक दो युवक एक दुकान पर गये और दुकानदार से पतंग दिखानेको कहा।
केशव ने दुकानदार से कहा-, "ऐसा माँझा देना कि जिससे दूसरे की पतंग तुरन्त कट जाए और हमारी जीत हो जाए।" दुकानदार ने कहा-, "अरे भाई साहब! ऐसा माँझा देता हूँ कि इसके आगे सारे धागे फेल हो जायेंगे। यह लो चाइनीज माँझा।"
मनोज ने कहा-, "केशव! यह माँझा मत लो यार! शायद तुम्हें पता नहीं है, इस माँझे से कई लोगों की जानें जा चुकी हैं। कल ही सड़क के ऊपर जा रहे तारों पर यह माँझा लटका था, जिससे कि एक मोटरसाइकिल सवार की इसी माँझे में फँसकर मृत्यु हो गई थी। हमें सिर्फ पतंग ही तो उड़ानी है।"
केशव को बात समझ में आ गयी थी। उसने कहा-, "मनोज! जिस चीज से किसी की जान संकट में आ जाये, वह काम हमें नहीं करना चाहिए।"
केशव ने दुकानदार से कहा-, "ये माँझा वापस कर लो और मुझे सादा धागा दे दो। हमें अपना मनोरंजन करना है। किसी की जान नहीं लेनी है।" उसके बाद दोनों दोस्त सादा धागा और दो-तीन पतंगे लेकर घर लौट आये। उन्होंने शाम को अपनी-अपनी पतंगें उड़ायीं, जो कि नीले आसमान को छू रही थीं। अब दोनों दोस्त बहुत खुश थे।
#संस्कार_सन्देश -
जब हमारे देश में सभी वस्तुएँ सस्ती, टिकाऊ और हानिरहित मिलती हैं, तो हम विदेशी वस्तुओं को क्यों लें?
कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना विकासखण्ड- सुल्तानगंज
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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