001/2025, बाल कहानी - 15 जनवरी


बाल कहानी - मिट्टी की ढाय
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मीरा और कामिनी दोनों सहेलियाँ थीं। वे दोनों गाँव में रहती थीं। दोनों गाँव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में कक्षा आठ की छात्राएँ थीं। दीपावली आने वाली थी। दोनों सहेलियों ने मिलकर अपने-अपने घरों को सजा लिया। 
मीरा ने कामिनी से कहा, "कामिनी हमने घर तो सजा लिया है, लेकिन हमने घर की कच्ची जमीन को गोबर और मिट्टी से लीपा नहीं है।" कामिनी ने कहा, "सही कहा तुमने! चलो, आज स्कूल की छुट्टी होने के बाद हम दोनों मिट्टी खोदने के लिए गाँव से बाहर चलते हैं। वहाँ पर बहुत ही अच्छी पीली मिट्टी मिलती है।"
स्कूल की छुट्टी होने के बाद कामिनी और मीरा दोनों घर पर आयीं। खाना खाने के बाद दोनों सहेलियाँ हाथ में तसले और खुरपी लेकर मिट्टी लेने के लिए चल पड़ीं। दोनों गाँव से बाहर बने हुए मिट्टी के टीले के पास पहुँच गयीं। 
मीरा ने कामिनी से कहा, "इसमें तो पहले से ही बहुत बड़ा गड्ढा हो गया है। लगता है, इसमें से लोग मिट्टी खोदते रहते हैं, चल कामिनी! अन्दर बैठकर मिट्टी खोद लेते हैं। मैं भरकर रख रही हूँ।"
कामिनी अन्दर बैठकर मिट्टी खोदने लगी। अचानक मिट्टी की ढाय खोदते वक्त ऊपर से गिर गयी और कामिनी उसमें दब गई। मीरा ने जैसे ही यह देखा तो वह जोर-जोर से चिल्लाने लगी, "अरे! जल्दी आओ! अरे जल्दी आओ! बचाओ! कामिनी मिट्टी में दब गयी है।" उसने हिम्मत और साहस का परिचय देते हुए तुरन्त ही कामिनी के ऊपर से मिट्टी हटाना शुरू किया। 
समय रहते हुए मीरा ने कामिनी के ऊपर से थोड़ी मिट्टी हटा दी, जिससे कामिनी ने साँस लेना शुरू कर दिया। तब तक गाँव वाले भी आ गये और कामिनी की जान बच गयी। सब लोगों ने पास के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर को बुला लिया। कामिनी का उपचार किया गया। कामिनी अब स्वस्थ्य थी। 
डॉक्टर साहब ने कहा, "तुम सबको कितना समझाया है कि मिट्टी की ढाय के अन्दर बैठकर मिट्टी मत खोदा करो। ऊपर से मिट्टी और ढाय गिरने का खतरा रहता है, तब भी तुम लोग नहीं मानते हो।" मीरा पास खड़ी चुपचाप सुन रही थी। मीरा कामिनी के पास गयी और बोली, "हमसे बहुत बड़ी गलती हो गयी थी। हम नहीं जानते थे कि ऐसा हो जाएगा। आगे से हम ऐसा कभी नहीं करेंगें।" गाँव वालों ने कहा, "तुम दोनों कितनी पक्की सहेलियाँ हो, आज हमने देख लिया कि किस तरीके से मीरा ने तुम्हारी जान बचायी। आज तुम दोनों ने सच्ची दोस्ती का परिचय दिया है। यह बात सब लोग याद रखेंगे।" मिट्टी की ढाय को समतल कर दिया गया, फिर भगवान का 'धन्यवाद' कर सभी अपने-अपने घरों को चले गये। 

#संस्कार_सन्देश - 
"हमें कभी भी गहरी गढ्ढे से मिट्टी की खुदाई नहीं करनी चाहिए, अन्यथा जान जाने का खतरा रहता है।"

कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना विकासखण्ड- सुल्तानगंज 
जनपद- मैंनपुरी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया 
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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