009/2025, बाल कहानी- 27 जनवरी

बाल कहानी - भय का भूत
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राघव एक छोटे से गाँव में रहता था। वहाँ के लोगों में शिक्षा का अभाव था। राघव के परिवार में उसकी पत्नी और एक बेटी थी। बेटी का नाम रागिनी था। उसकी उम्र 12 वर्ष थी। वैसे तो राघव ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था लेकिन शिक्षा के महत्व को भली-भाँति समझता था। इसीलिए अपनी बेटी को गाँव के ही प्राथमिक विद्यालय में नियमित भेजता था।
एक दिन की बात है। शाम के समय रागिनी अपनी सहेलियों के साथ घर के बाहर खेल रही थी। पास में लगे पीपल के पेड़ से अचानक आवाज आयी। सब सहेलियों उस ओर देखने लगी क्योंकि सभी ने उस पीपल के बारे में तरह-तरह की भूतिया कहानी सुन रखी थी। फिर क्या था! सभी को भय का भूत नजर आने लगा और बिना कुछ सोचे-समझे  सभी भागने लगीं। भागते समय एक सहेली रेखा गिरकर बेहोश हो गयी।
अब तो गाँव में तरह-तरह की चर्चायें शुरू हो गई कि पीपल का भूत उसे लग गया।
उसके माता-पिता झाड़ फूँक वाले को ले आये और लोगों की भीड़ लग गयी। रागिनी वहाँ पर डॉक्टर को लेकर पहुँच गयी। उसने सभी को समझाया कि-, "रेखा किसी भूत की वजह से नहीं बल्कि भागने के कारण चोट लगने से बेहोश हो गयी है, इसीलिए उसे झाड़-फूँक की नहीं डॉक्टर की जरूरत है।" पर किसी ने उसकी बात पर यकीन नहीं किया। रागिनी सभी को पेड़ के पास ले गयी, जहाँ पर लोगों ने देखा कि पेड़ पर कोई भूत नहीं बल्कि बिल्ली बैठी थी। सभी वापस आ गये। डॉक्टर ने इलाज से रेखा  बिल्कुल ठीक हो गयी। अब तो रागिनी की प्रशंसा चारों ओर होने लगी।
अब गाँव के सभी लोगों ने प्रण किया कि अब से अन्धविश्वास मे नहीं पड़ेंगे और सुनी-सुनाई बातों पर यकीन नहीं करेंगे तथा और सभी बच्चों को विद्यालय नियमित पढ़ने भेजेंगे।

#संस्कार_सन्देश -
हमें सुनी-सुनाई बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए। जाँच-परखकर ही किसी बात को अपनाना चाहिए।

कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)

कहानी वाचन- 
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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