क्या खोया क्या पाया

जाते हुए साल में जब मैंने हिसाब लगाया, 

साल 2020 में क्या खोया क्या पाया।

हिसाब लगाकर देखा तो मन बड़ा घबराया,

कितना बेबस हुआ आदमी जब महामारी ने कहर ढहाया।


जाने कितनी जानें गयीं, 

कितनों ने अपनों को खोया। 

कितना बेबस हुआ आदमी, 

जब भूखे पेट ही सोया।। 


आना-जाना, मेल-मिलाप पर, 

एक दम लग गया पहरा। 

बैठे थे जो दूर घरों से, 

उनका घाव था गहरा।।

 

आजादी की खुली हवा में, 

जो साँसें लिया करते थे। 

लॉकडाउन ने सीख सिखाई, 

कैद पक्षी कैसे जिया करते थे।।  


जाति-धर्म से ऊपर उठकर, 

जब मानवता ने हाथ बढ़ाया था। 

भारत को फिर विजयी बनाने, 

हमने भी दिया जलाया था।। 


ईश्वर से यही प्रार्थना है, 

यही हमारी विनती। 

मंगलमय हो नववर्ष सभी का, 

खुशहाल बने फिर धरती।।  


रचयिता

अंशिका शर्मा,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय नौजरपुर, 

विकास खण्ड-निधौली कलाँ, 

जनपद-एटा।



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