ईश्वर का उपहार
किसने डाली सूर्य में ज्वाला,
गूँथी अनोखी पर्वत माला।
किसने रचे मरूस्थल रेतीले,
भरा वृहद सागर का प्याला।
किसने बुनी गगन की चादर,
झरनों की सुंदर सी झालर।
किसने दी हरीतिमा धरा को,
नदिया दीं मीठे जल से भर।
यह प्रकृति ईश का उपहार,
मिला हमको अनुपम संसार।
अद्भुत जगत बनाने वाले,
नमन करें हम बारम्बार।
रचयिता
दीप्ति सक्सेना,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटसारी,
विकास खण्ड-आलमपुर जाफराबाद,
जनपद-बरेली।
बहुत बहुत धन्यवाद MSS
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