किसान दिवस

कृषक मेरे देश का काम करे दिन रैन,

क्षुधा शांत करे पेट की फिर क्यों भरे नैन।


हल चलाया  खेत में  बोया उसमें बीज,

मिला ना मूल्य काम का आती फिर खीज।


आंधी हो या बरसात काम नहीं रुके कभी,

परिश्रम का फल उसे मिलेगा बताओ कभी।


जय किसान का नारा लगे अब बेकार,

अन्नदाता भूखा सोए, मानव को दुत्कार।


23 दिसंबर को मनाएँ हम किसान दिवस,

सीधा-साधा जीव यह नहीं कोई हवस।


भारत के पाँचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्म,

किसानों के लिए इनका योगदान रहा अनुपम।


समाज की रीढ़ किसान जीवन का आधार,

सच्चा भारत गाँव में नहीं इससे इनकार।


सशक्त बनाएँ किसान को, विकास को हो तत्पर,

दशा सुधरे किसान की देश भी हो बेहतर।


नमन करूँ हर कृषक को कर जोर करूँ वंदन,

हृदय की गहराई से तुम्हारा हो अभिनंदन।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


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