माटी
माटी माटी मत कहो
जानो माटी का मोल
माटी से ही उपजते
मानव जीवन आहार
माटी जीवन संगिनी
माटी जीवन आधार
माटी रुप इस देह का
माटी ही आधार
माटी सबसे महान है
माटी लो शीष चढ़ाय
माटी रूपी इस रत्न को
प्रदूषण से बचाओ
लोक हितकारी माटी का
सब मिल संरक्षण करो
रचयिता
विनोद कुमार सीताराम दुबे,
शिक्षक,
गुरु नानक इंग्लिश हाईस्कूल एन्ड जूनियर कॉलेज,
भांडुप,
विनोद कुमार सीताराम दुबे,
शिक्षक,
गुरु नानक इंग्लिश हाईस्कूल एन्ड जूनियर कॉलेज,
भांडुप,
मुंबई,
महाराष्ट्र।
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