घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धत्ति को,
आओ आज मिटायें।
बच्चों को कुछ रोचक ढंग से,
उनका पाठ पढ़ायें।
बच्चों के मन को हम समझें,
सोचें और विचारें।
बात-बात में बिना वजह हम,
न ही उनको मारें।
अ से यदि वह कहे अनार तो,
अदरक भी बतलायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
केवल किताब के पन्नों तक ही,
सिमट न जाए ज्ञान।
जब समाज में निकले बालक,
तो बने नई पहचान।
कुछ ताल, तलैया, नदी, खेत में,
बच्चों को टहलायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
शिक्षण को परिवेश से जोड़ें,
ज्ञान का हो विस्तार।
इतिश्री न कर देना तुम कह,
दो दूनी बस चार।
सम्भव हो तो कुछ प्रयोग हम,
बच्चों से करवायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
कुछ अंक उलट देते हैं बच्चे,
जब लिखें पहाड़ा-गिनती।
प्रतिबिम्ब बनाते दर्पण जैसा,
तुम दूर करो यह गलती।
हाथ पकड़कर बच्चों का हम,
गोली-पाई बनवायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
जब गुड मॉर्निंग का सिलसिला,
होता शुरू सुबह से।
यह पूरे दिन चलता अभिवादन,
हर बच्चे के मुँह से।
इस गलती में कर प्रयास हम,
कुछ सुधार तो लायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
ब्लैक बोर्ड पर लिखे सवाल का,
विश्लेषण भी करना।
बच्चों को अब लगे गणित से,
देखो कोई डर ना।
बस जोड़, घटाना, गुणा, भाग दे,
न अपना पिंड छुड़ायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
हम आधुनिक युग के शिक्षक,
तकनीक सही अपनायें।
स्कूल में अपने प्रोजेक्टर को,
हम जरूर लगवायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
कम से कम अखबार एक हम,
विद्यालय में लायें।
और प्रमुख बातें हम उसकी,
बच्चों को बतलायें।
घिसी-पिटी शिक्षण पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
इसी तरह के कार्य बहुत हम,
कर सकते हैं अच्छा।
वैज्ञानिक शिक्षा जब दोगे,
तो रुचिकर होगी कक्षा।
छोटे-छोटे कर प्रयास हम,
भारत की नींव बनायें।
घिसी-पिटी शिक्षण-पद्धति को,
आओ आज मिटायें।
रचयिता
अरविन्द दुबे मनमौजी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अमारी,
विकास खण्ड-रानीपुर,
जनपद-मऊ।
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