नमन

है नमन तुम्हें हे अमर शहीद

जिनसे दुश्मन भी हारा था।

जो घमासान संघर्ष हुआ

तुमने अरि को ललकारा था।

अपनी जान न्योछावर कर

देश की आन बचाया था।

कितनी माँओं ने दूध पिला

इस देश का कर्ज चुकाया था।

जब रही धरा खतरे में पड़ी

फिर दूध का फ़र्ज निभाया था।

करते है नमन उन वीरों को

जो मिट चले अमर अभिमानी थे।

जिनकी रग-रग में दौड़ रहा

देश प्रेम स्वाभिमानी था।

अपने सपनों को लुटा दिया

भारत माता के चरणों मे।

एक जीवन श्वांस भरी सबने

सरहद पर प्राण गँवाने में।

है नमन सदा उन वीरों को

जो डटे रहे सरहद पर

धरती माँ को ओढ़ा चले,

अपने लहू की लाल चुनर।।


रचयिता
मंजरी सिंह,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।

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