मौसम

जाड़ा आया जाड़ा आया,

संग में अपने कँपकँपी भी लाया।

ठिठुर ठिठुर कर  बैठे हम,

थर थर थर थर काँपे हम।।


गर्मी आई निकला पसीना,

चैन हमको मिले अब कहीं ना।

ठंडी ठंडी आइसक्रीम हैं खाते,

सूरज भी देखो आग बरसाते।।


काली-काली बदरी आये,

पानी गिरे बादल मंडराए।

दूर कहीं बिजली सी चमके,

खेतों में हरियाली दमके।।


रचयिता
आकांक्षा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिकंदरपुर,
विकास खण्ड-सुरसा, 
जनपद-हरदोई।

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