जलियांवाला बाग हत्याकांड

देशवासियों आज का भूल ना जाना दिन,

जलियांवाला बाग हत्याकांड का काला दिन।

13 अप्रैल 1919 में अंग्रेजों की थी करतूत,

कई परिवारों का हुआ था खात्मा इस दिन।।


वैशाखी के दिन अमृतसर स्वर्ण मंदिर की घटना,

रौलट एक्ट का विरोध कर रही सभा की है घटना।

जनरल डायर ने गोली चलाने का दिया आदेश,

484 शहीदों के जीवन की है ये घटना।।


बच्चे, बूढ़े और जवान सभी हुए थे शिकार,

भारतीय संग्राम पर था प्रभाव बेशुमार।

विजिटर्स बुक में थी इतिहास की शर्मनाक घटना,

बैसाखी पूरे भारत का एक प्रमुख त्योहार।।


शांतिप्रिय और सभ्य तरीका अंग्रेजों को ना आया रास,

ब्रिटिशर्स ने फैला दी फिर षड्यंत्रों की आस।

देखने आए परिवारों के साथ बैसाखी का मेला,

अंग्रेजों की गोलियों का बने सभी थे पाश।।


बिना चेतावनी निहत्थों को गोलियों का बनाया निशाना,

जान बचाने को कूदे कुएँ में, मिला ना कोई ठिकाना।

शहीदी कुआँ नाम मिला था तब उस कुएँ को,

निंदा हुई कांड की, ब्रिटिशर्स का मुश्किल हुआ जीना।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।




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