रामनवमी मनाएँ

तर्ज- मिलो ना तुम तो....


आज खुशी का दिन है आया,

आओ खुशी लुटाएँ।

रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


चैत्र मास की नवमी तिथि को,

 प्रकटे थे रघुराई।

रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


 दशरथ की तीन रानी,

कौशल्या, कैकई, सुमित्रा थीं।

श्रंगी ऋषि ने करवाया,

यज्ञ था पुत्रेष्टि।।


हो गई पुत्र रत्न की प्राप्ति,

मिट गई सब चिन्ताएँ।

रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


वशिष्ठ मुनि के गुरुकुल में,

पाए शिक्षा चारों भाई थे।

लौटे महल कि विश्वामित्र,

राम लखन को लेने आए थे।।

मारो ताड़का यज्ञ धर्म की,

रक्षा करो रघुराई।

रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


हुआ वध ताड़का का,

मिथिला ले आए ऋषिवर राम को।

शिव धनुष तोड़ ब्याहा,

 राम ने माँ जगदम्बा को।।

चारों भैया बने जमाई,

दशरथ लेवे बलाएँ।

 रामनवमी मनाएँ,

 रामनवमी मनाएँ।।


आया वह क्रूर दिन,

फिर गई मति कैकेई की।

राज दो भरत को मेरे,

प्रिय राम को वन भेज दो।।

राम लखन सीता गए वन को,

 दशरथ  प्राण गँवाए।

रामनामी मनाएँ,

 रामनवमी मनाएँ।।


वन में सीता हरने,

आया रावण पुष्पक यान से।

 सीते! सीते! बोले,

अश्रु भरे थे राम आँख में।।

मिल गए हनुमत अपने राम से,

माँ का पता लगाएँ।

रामनवमी मनाएँ,

 रामनवमी मनाएँ।।


युद्ध हुआ रावण राम में,

लक्ष्मण का मेघनाद से।

वध किया राक्षसों का,

विभीषण ले आए सीता मात को।।

लौट अयोध्या घर को आए,

खुशी के दीप जलाएँ।

 रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


बहुत बड़ी है महिमा,

राम से बड़ा राम नाम है।

कलम का सौभाग्य मेरी,

 दोहरा रही राम-राम है।।

अहिल्या शबरी सबको तारे,

राम सकल गुणधाम।

रामनवमी मनाएँ,

रामनवमी मनाएँ।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।

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