बावन इमली की अमर कहानी

बावन इमली की अमर कहानी, 

जिसमें झूले बावन सेनानी थे। 

कुछ तो थे जाने पहचाने, 

कुछ चेहरे अंजाने थे। 


बावन इमली की............. 

पवित्र हो गयी वो धरा, 

जिसमें जन्मे और खेले ये सेनानी थे। 


बावन इमली की................... 

अमर हो गया खजुआ का वो मैदान, 

जिसमें झूमे ये बावन सेनानी थे। 


बवान इमली की............. 

इसी पेड़ पर फाँसी पर झूले, 

जोधा सिंह के सेनानी थे। 


बावन इमली की............ 

द्वाबा की इस पवित्र धरा पर, 

वीरों ने आजादी की अलख जगाई थी। 


बावन इमली की..........

 जब हुई शवों के साथ बर्बरता, 

तब ग्रामीणों में आक्रोश की ज्वाला जागी थी। 


बावन इमली की........ 

28 अप्रैल सन् 1858 जनपद फतेहपुर की, 

यही कहानी थी। 

बावन इमली की......... 


रचयिता

राजीव कुमार सिंह,

सहायक अध्यापक,

कम्पोजित विद्यालय अख़री,

विकास खण्ड-हथगाम,

जनपद-फतेहपुर।

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