हे! वीर बजरंग बली हनुमान

केसरीनंदन, अंजनी के लाल,

रुद्रावतार, पवनपुत्र हनुमान।

बालपन से अतुल्य बलशाली,

करते हो जगत का कल्याण।। 

हे! वीर बजरंग बली हनुमान 


तुम प्रभु श्री राम के प्यारे,

 संकटमोचन वीर बलवान। 

भूतपिशाच, असुरों के संहारक,

 ऋषियो, मुनियों के बचाते हो प्राण।।

हे!वीर बजरंग बली हनुमान 


जब जामवंत बल याद दिलाये,

लाँघ समुद्र सिया  सुध लाये।

जलाकर लंका दुराचारी रावण की,

दुष्ट राक्षसो का मिटा दिया नामोनिशान।। 

हे!वीर बजरंग बली हनुमान 


बनकर धर्मरक्षक, की लंका पर चढाई,

रावण संग राक्षसों की शामत आयी।

मेघशक्ति से हुए लक्ष्मण मूर्च्छित,

ला संजीवनी बूटी, बचा लिये सौमित्र के प्राण।।

हे! वीर बजरंग बली हनुमान 


राम-लक्ष्मण संग अयोध्या आये,

माता जानकी के पुत्र कहलाये।

पायी प्रभु श्री राम की अनन्य भक्ति,

भक्तों को दिलाते हो हर संकट से मुक्ति,

सृष्टि के कण-कण में, हो तुम विराजमान।। 

हे! वीर बजरंग बली हनुमान 


रचयिता

अमित गोयल,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा,

विकास क्षेत्र व जनपद-बागपत।

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