मूर्ख दिवस

फर्स्ट अप्रैल का दिन है आया,

मूर्ख दिवस भी कहलाए।

छोटों-बड़ों को बनाकर उल्लू, 

दो पल की खुशियाँ पाए।।


मासूमियत से झूठ बोलकर,

सच-सच कहकर समझाएँ।

इतने प्यारे झूठ पर,

सबको बड़ा ही प्यार आए।।


सारे जगत को जीत लिया हो

ऐसे मन में फिर इठलाएँ,

चलो छोटे से मजाक से

मानसिक दूरियाँ मिटाएँ।। 


चलो करें ऐसा मजाक,

जो किसी को क्षति ना पहुँचाए।

मकसद जिसका एक ही हो,

नवजीवन नवरंग छाए।।


अलग-अलग देशों में, 

अलग-अलग नाम से।

मूर्ख दिवस मनाया जाए,

अरे बड़ी ही शान से।।


चलो बताएँ राज तुम्हें,

फर्स्ट अप्रैल क्यों मनाया जाए?

इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय का, 

मजेदार किस्सा सुनाएँ।।


सन् 1381 राजा की सगाई, 

थी 32 मार्च को तय हुई।

ऐसी थी तारीख जो कभी, 

बच्चों नहीं थी बनी हुई।।


लोग बिना सोचे-समझे, 

लगे थे जश्न मनाने को।

तभी समझ आया कि 31 मार्च के बाद,

1 अप्रैल था आने को।।


तब से 1 अप्रैल को,

मूर्ख दिवस मनाया जाए।

जिस दिन मूर्ख बनाकर, 

सबको बड़ा मज़ा आए।।


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



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