शक्ति अवतार चंद्रघंटा मैया

नवरात्रि उपासना के तीसरे दिन पूजा का विधान,

माँ दुर्गा की तृतीय शक्ति चंद्रघंटा का आह्वान।

इनके विग्रह को पूजन आराधना का महत्व,

साधक का मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होने का प्रावधान।।


माँ कराए अलौकिक वस्तुओं के दर्शन,

दिव्य सुगंधियों के अनुभव का ज्ञान।

विविध प्रकार की ध्वनियाँ देती हैं सुनाई,

साधक के लिए समय होता रहे सावधान।।


शांतिदायक कल्याणकारी है स्वरूप माता का,

मस्तक में घंटे का आकार है माता का।

सोने के समान चमकीला है उनका शरीर,

दसों हाथों में खड्ग, शस्त्र, बाण है माता का।।


सिंह वाहन है चंद्रघंटा माता का,

युद्ध को उद्धत मुद्रा रहे माता का।

मन, कर्म, वचन से काया करो शुद्ध,

शरणागत का ना होता बाल बाँका।।


सांसारिक कष्टों से मैया मुक्ति दिलाए,

इहलोक, परलोक कल्याणकारी बनाएँ।

भोजन में दही, हलवा माँ को अति भावे,

नारंगी रंग माता को सदा से लुभाए।।


करो कृपा हम सब पर मेरी माता,

हम अज्ञानी हमें कुछ नहीं आता।

दर पर तेरे आए हैं बन के सवाली,

तेरे बिना कौन हमें पार लगाता।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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