शक्ति स्वरूप कुष्मांडा माता

सृष्टि के अस्तित्व की रचना करें मैया,

आदिशक्ति, आदि स्वरूपा कही गईं मैया।

सूर्यमंडल के भीतर के लोक में इनका निवास,

इस तेज में रहने की क्षमता धारण करें मैया।।


शरीर की कांति और प्रभा दैदीप्यमान,

दसों दिशाएँ इनके तेज से प्रकाशवान।

ब्रह्मांड के प्राणियों का तेज इन्हीं की छाया,

अष्टभुजा के नाम से भी मैया की शान।।


सात हाथों में धनुष, बाण, चक्र ,गदा है,

आठवें हाथ में सिद्ध प्रदाती जपमाला है।

वाहन है इनका अति बलशाली सिंह,

आयु, यश, बल और आरोग्य की प्रदाता हैं।।


शरणागत को सुगमता से परम पद की प्राप्ति,

सहज भाव से भवसागर से मिले मुक्ति।

लौकिक ,पारलौकिक उन्नति को हो उपासना,

व्याधियों से विमुक्त करके सुख -समृद्धि की प्राप्ति।।


दही हलवा भोजन में माँ को प्रेम से खिलाएँ,

फल, सूखे मेवे सौभाग्य को भेंट चढ़ाएँ।

तेजस्वी विवाहित महिला का पूजन करें,

मनोवांछित फल साधक माँ से सर्वदा पाएँ।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


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