२८५~ अनिल कुमार बाथम (इं०प्र०अ०) पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढरकन, वि०ख०-सहार, जनपद-औरैया

       🏅अनमोल रत्न🏅

आज हम मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से आपका परिचय बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न भाई अनिल कुमार बाथम जी (इं०प्र०अ०) पूर्व माध्यमिक विद्यालय ढरकन, वि०ख०-सहार, जनपद-औरैया से करवाते हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच की शक्ति से लगातार शिक्षकत्व की रक्षा के लिए संघर्ष करते हुए अन्ततः नकारात्मकता से विजय प्राप्त कर अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बनाने में सफलता प्राप्त की है। जो हम जैसे हजारों शिक्षकों के लिए प्रेरक और अनुकरणीय है। मिशन परिवार की ओर से सम्पूर्ण विद्यालय परिवार को उज्जवल भविष्य की कामनाओं के साथ हार्दिक शुभकामनाएं।

आइये देखते है आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:

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मैं अनिल कुमार बाथम, मेरा पदार्पण इस बेसिक शिक्षा में एक नये जोश, नये उत्साह, नई उमंगों के साथ (18 दिसंबर 1999 को प्रा०वि० उमरेड़ी, एरवा कटरा में) इस उद्देश्य के साथ हुआ कि मुझे इस शिक्षा की दुनियाँ में एक प्रतिमान के रूप में स्थापित होना है, दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बनना है। बेसिक शिक्षा की दुर्दशा को दूर करने में मैं अपने हिस्से की मेहनत करने में कोई कोर कसर नहीं रखूँगा। परन्तु इस दुनियाँ की विडम्बनाओं ने कुछ ही दिनों में मेरे सारे उत्साह को ठंडा कर दिया और मैं भी मात्र नौकरी करने वाला नौकर बनकर, विडम्बनाओं के प्रवाह में डूबता उतराता, अपने प्राण बचाता अक्टूबर 2000 में प्रा०वि० हरतौली, सहार से गुजरता हुआ अक्टूबर 2004 में promoted होकर पू०मा०वि० ढरकन, सहार में आ लगा और विडम्बनाओं के तेज प्रवाह में नौकर की भूमिका में जुलाई 2015 तक बहता रहा। जुलाई 2015 में इंचार्ज रुपी भंवर में ऐसा फँसा, कि मात्र नौकरी करने वाले नौकर का अस्तित्व ही खतरे में आ गया। प्राण संकट में आने लगे, मानसिक असंतुलन व तनाव की आग ने पूर्व के संस्कारों को न सिर्फ गर्माहट दी बल्कि उनको तेज आग के रूप में भड़काया। अंतःचेतना की गहराइयों से विचार उठा कि जब मरना ही है तो क्यों न कुछ अच्छा करते हुए शान से मरा जाये। इसी के क्रम में शासन की अंधी विडम्बनाओं से पंगा लेना प्रारम्भ किया। बच्चों, विद्यालय व समाज के लिए जो कुछ वास्तव में उपयोगी है उसे धरातल पर लाने के लिए कई अनौचित्यों को उखाड़ फेकने का साहस दिखाया और नौकर से मालिक की भूमिका में आ गया। कुछ अच्छा बन पड़ने भी लगा। इसी दौरान फरवरी-2017 में मिशन शिक्षण संवाद से जुड़ा। समान विचारधारा वाले जुनूनी भाइयों–बहिनों का परिवार मिला। सभी की जुनूनी गर्माहट को पाकर बच्चों, विद्यालय व समाज के हित के लिए स्वयं को खपाने का जुनून सिर चढ़कर बोलने लगा। मिशन रूपी परिवार के भाई बहिनों से मिलने वाली प्रशंसा, मान सम्मान व उत्साहवर्धन, इस आग को प्रज्ज्वलित करने वाली वायु बना। प्रज्ज्वलित हुई ये आग बच्चों में शिक्षा, संस्कार, सदाचारिता रूपी पकवानों को तेज गति से पकाने लगी। इन उद्देश्यों को पाने के लिए सर्वप्रथम बच्चों व शिक्षक के बीच की दूरी को मिटाने का प्रयास किया। बच्चे हमसे खुले, बच्चे व शिक्षक के बीच मित्रवत व्यवहार बना। वे बेझिझक होकर अपनी बात अपने शिक्षकों से रखने लगे। कई लोगों की शिकायतें भी बढ़ने लगीं कि मैंने बच्चों को सिर पर ज्यादा चढ़ा रखा है जो अनुचित है। बच्चों में शिक्षा, संस्कार व सदाचारिता भरने के क्रम में बच्चों के समस्त जीवन के लिए पहली व अति अनिवार्य शिक्षा/संस्कार “स्वच्छता व सुव्यवस्था” का नियमित शिक्षण के बजाय दैनिक प्रशिक्षण देने के क्रम में विद्यालय में नवाचार अपनाया गया। जिसमें विद्यालय के खुलते ही सभी उपस्थित बच्चे व अध्यापक सामूहिक रूप से बिना किसी भेदभाव व झिझक के विद्यालय परिसर की साफ-सफाई, विद्यालय को माँ सरस्वती का वास्तविक मंदिर मानकर पूर्ण मनोयोग से तल्लीनतापूर्वक करते हैं। हमारी ये सेना 10-15 मिनट में ही पूरे परिसर से गंदगी व अव्यवस्था रूपी दुश्मन को नष्ट करके भगा देती है। इस कार्य में सभी को आनंद आता है और दुश्मन पर अपनी जीत की खुशी सभी अनुभव करते हैं।


विद्यालय की स्वच्छता व सुव्यवस्था के पश्चात् प्रारम्भ होती है प्रातःकालीन प्रार्थना। हमारे बच्चे English medium वाले प्राइवेट/कॉन्वेंट स्कूल के बच्चों से किसी मामले में पीछे न रह जायें, इसलिए उन्हें English medium वाला वातावरण भी अधिक से अधिक उपलब्ध कराने के क्रम में प्रातःकालीन प्रार्थना की लगभग 15-20 मिनट की सभी गतिविधियाँ English medium व Hindi medium दोनों में Alternate दिनों में होती हैं। प्रत्येक दिन के लिए निर्धारित अलग-2 तरह की प्रार्थना होती है। इस प्रकार 6 प्रार्थनाओं को हमारे बच्चे अच्छे से करते हैं।
प्रार्थना के पश्चात् माँ सरस्वती को अर्पित करने के लिए 5 पुष्पों के प्रतिनिधि स्वरूप 5 सबसे स्वच्छ, नहा धोकर well dressed आये बच्चे छांटे जाते हैं। ये कार्य दूसरे बच्चे करते हैं| इन 5 बच्चों के नाम दैनिक श्यामपट्ट कार्य में उनकी कक्षा सहित नीचे लिखे जाते हैं। इन 5 बच्चों के साथ अन्य सभी नहा धोकर आये बच्चों को भी सुगन्धित तेल लगाकर सुगन्धित किया जाता है। यह सुगंधी बच्चों को घर तक महकाए रखती है। बच्चे सारे दिन charming mood में रहते हैं।प्रतिदिन बदल-बदल कर सुगन्धित तेल का प्रयोग किया जाता है। इस कार्य में हमारे सभी 43 बच्चों पर मात्र 1-2 मिनट का समय लगता है। इस नवाचार से लगभग सभी बच्चे नहा धोकर साफ स्वच्छ कपड़ों में विद्यालय आने लगे।
 
स्वस्थ शरीर में ही स्वच्छ व प्रसन्न मन का वास होता है जो कि शिक्षा के लिए अति अनिवार्य है, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए प्रार्थना के पश्चात् बच्चों को नियमित योग अभ्यास कराया जाता है। जिसमें तरह-तरह के योगाभ्यास, प्राणायाम व ध्यान को कराया जाता है।
No bag day(शनिवार) या अन्य किसी उपलब्ध समय पर बच्चों को विभिन्न शारीरिक व मानसिक खेल खिलाना प्रारम्भ किया गया, बालीवाल, चिड़िया-बल्ला, कबड्डी, खो-खो, चैश आदि जैसे शारीरिक व मानसिक खेलों की व्यवस्थाएं जोड़ी गईं।

इन सारी गतिविधियों से बच्चों का जुड़ाव विद्यालय व शिक्षकों से बढ़ा। इसी क्रियाशीलता के चलते अपने बच्चों को मण्डलीय क्रीड़ा प्रतियोगिता तक में प्रतिभाग कराने का अवसर मिला।
शैक्षिक उन्नयन के क्रम में मिशन शिक्षण संवाद द्वारा प्रतिदिन आने वाले श्यामपट्ट कार्य को बच्चों के बीच प्रस्तुत करना व उसके विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा-परिचर्चा करना प्रारम्भ किया गया। पाठ्य सामिग्री को बच्चों के शैक्षिक स्तर के अनुसार design किया गया। जो बच्चा जिस स्तर पर है वहीं से उसका व्यक्तिगत शिक्षण करते हुए उसको न सिर्फ उसके लिए निर्धारित स्तर तक लाना बल्कि उसको आगे भी बढ़ा देने का प्रयास किया जाता है और कई बिन्दुओं पर मेरे बच्चे हाई स्कूल व इंटरमीडिएट के बच्चों के भी कान काटने के स्तर पर पहुँच जाते हैं।
अपने शिक्षण को रोचक व प्रभावशाली बनाने के लिए मैंने अपने व्यक्तिगत प्रयास से बच्चों के लिए Projector की भी व्यवस्था बनाई।
बच्चों के प्रतिदिन व प्रतिक्षण के मूल्यांकन हेतु विभिन्न गतिविधियों व बिन्दुओं पर मूल्यांकन की व्यवस्था बनाई। पिछले माह की गतिविधियों के आधार पर सर्वाधिक अंक पाये बच्चों को अगले माह पुरुस्कृत करने की व्यवस्था बनाई गई। समय-2 पर ऐसे बच्चों को समुदाय के लोग भी अपने व्यक्तिगत प्रयास से घड़ी, इमरजेंसी लाइट, स्टेशनरी आदि द्वारा पुरस्कृत करते रहते हैं।
छात्रों में ईमानदारी, नैतिकता, स्वमूल्यांकन सहित अन्य अच्छी आदतों/श्रेष्ठ संस्कारों का प्रतिदिन अभ्यास करने के लिए दैनिक डायरी को डिजायन किया गया। बच्चा सही दिशा में प्रगति कर रहा है या नहीं, उसके व्यवहार में परिवर्तन आ रहा है या नहीं इसके लिए उसके आसपास के लोगों से जानकारी करके उनका मूल्यांकन और बच्चों को समय-समय पर उचित प्रेरणा व प्रोत्साहन दिया जाता है।
आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को अतिरिक्त समय में शिक्षण भी देना।
बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण MDM प्रदान करने के लिये कोई कोर कसर नहीं रखी जाती।
बच्चों को आवश्यक शैक्षिक सामग्री के प्रायः रहने वाले अभाव को दूर किया गया। इसी गतिविधि से बच्चों को बैंकिंग प्रक्रिया तक लाया गया। जहाँ एक ओर बच्चों में बचत की प्रवृत्ति विकसित करने के लिए ब्याज की सुविधा उपलब्ध कराइ गई वहीं दूसरी ओर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बच्चों को debit card जैसी सुविधा भी उपलब्ध कराई गई। बच्चे इस बैंकिंग सुविधा का भरपूर उपयोग करते हैं और अपने पैसों के चोरी हो जाने या पैसों के अभाव में किसी आवश्यकता की पूर्ति न हो पाने वाली हानि से बच जाते हैं।
बच्चों को विद्यालय में पूर्णतः भयमुक्त व आनंददायक वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। विभिन्न शिक्षण बिन्दुओं पर बच्चों को याद करने के दबाव से मुक्त करते हुए उन्हें प्रतियोगी वातावरण उपलब्ध कराया जाता है। जिसका परिणाम यह है कि बच्चों से ये प्रतिक्रिया आने लगी है कि “गुरूजी अब छुट्टी में घर पे अच्छो नहीं लगत है।”
हमारे विभिन्न प्रयासों को देखते हुए अब समुदाय के लोग भी हमारे सहयोग को आगे आने लगे हैं। कहीं विद्यालय परिसर की साफ-सफाई में, विद्यालय की तरह-तरह की व्यवस्थाओं में, अच्छे बच्चों को समय-समय पर स्वयं पुरस्कृत करने जैसी आदि-आदि गतिविधियों में अपना, भरपूर सहयोग देते हैं उन्हीं के बल पर मैं 2018 का गणतंत्र दिवस आयोजन अभूतपूर्व ढंग से करने में सफल रहा।
बच्चों व विद्यालय के प्रति हमारे समर्पण व लगन को देखते हुए हम लोगों को समुदाय की भरपूर श्रद्धा व प्रसंशा मिलना भी प्रारम्भ हो गई है।
अपने नवाचारों के अनुभवों को समान विचारधारा वाले अन्य शिक्षक साथियों के साथ साझा करने के लिए अवकाश के दिनों में कार्यशालाओं का आयोजन करने का जी तोड़ प्रयास भी चलता रहता है। जिसे मीडिया भी समय-2 पर प्रकाशित करने में पीछे नहीं रहता।
बच्चों के शिक्षण/संस्कार के लिए कार्य कर रही अन्य संस्थाओं को भी अपने समय की उपलब्धता होने पर उन्हें भी सहयोग करने का भरसक प्रयास किया जाता है।





बहुत-बहुत धन्यवाद अनिल कुमार बाथम जी। हमें खुशी है कि मिशन शिक्षण संवाद जिस सीखने- सिखाने की सकारात्मक सोच से एवं प्रेम और प्रोत्साहन की नीति से, शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए एक वैचारिक बीज बनकर शुरू हुआ, वह आज एक वृक्ष बनकर फूलों की खुशबू बिखेरते हुए आप जैसे अनमोल रत्नों का श्रम और समर्पण फल प्रदान करने लगा है। इसके लिए मिशन परिवार सभी अनमोल रत्नों को हार्दिक नमन करता हैं।

संकलन : ज्ञान प्रकाश
टीम मिशन शिक्षण संवाद औरैया।

👉नोट:- आप अपने मिशन परिवार में शामिल होने, आदर्श विद्यालय का विवरण भेजने तथा सहयोग व सुझाव को अपने जनपद सहयोगियों को अथवा मिशन शिक्षण संवाद के वाट्सअप नम्बर-9458278429 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

निवेदक: विमल कुमार
21-12- 2018

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