मैं नारी हूँ

     सौभाग्य है कि मैं नारी हूँ
आज नर समाज पर भारी हूँ

सृष्टि को मैंने जन्म दिया,
निष्ठा से धर्म और कर्म किया
इसकी मैं पालनहारी हूँ,
आज नर समाज पर भारी हूँ ।

कुटुम्ब दहलीज
और संसार,
नित नये संघर्ष

किये हजार,
गढ़े सांचे कई
आकार-प्रकार,
पग-पग पर मैं बलिहारी हूँ,
आज नर समाज पर भारी हूँ ।

देकर कन्धा माँ बाप को मैं,
संतप्त-संताप
श्मशान को मैं,
रूबरू-आबरू को ढांप को मैं,
परिवर्तन की बनवारी हूँ,
आज नर समाज पर भारी हूँ ।।

रचयिता
उषा द्विवेदी,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय लोहरपुरवा,
विकास क्षेत्र-कैम्पियरगंज,
जिला-गोरखपुर।

Comments

  1. Beautiful poem mam
    This poem is a motivation for all other women.

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