संत निकोलस


   संत निकोलस आता है,
    बच्चों को अति भाता है।
    भाई!उसके क्या कहने?
    लाल-लाल कपड़े पहने,
     उपहारों को लाता है।
     संत निकोलस आता है।
 
    दाढ़ी खूब बढ़ा ली है,
    फूलों जैसी डाली है।
    बौना सा दिखलाता है।
    संत निकोलस आता है।
   
    लम्बा-लम्बा चौंगा है,
    लिए हाथ में डोंगा है।
    टोपी लाल लगाता है,
    संत निकोलस आता है।
   
    बच्चे खुश हो जाते हैं,
    क्रिसमस दिवस मनाते हैं।
    हर कोई हँसता-गाता है,
    संत निकोलस आता है।
   
    हम भी नाचें-गायेंगें,
    मन की मौज मनाएँगें।
   सबका मन हर्षाता है,
   संत निकोलस आता है।
 
   दुनिया का हर बच्चा अच्छा,
   बच्चा होता मन का सच्चा।
   प्रेम -सुधा बरसाता  है,
   संत निकोलस आता है।
 
  मुझको भी उपहार मिलें,
  बच्चों जैसा प्यार मिले।
  मेरा मन ललचाता है,
 संत निकोलस आता है।
 संत निकोलस आता है।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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