आँसू

अंतर्राष्ट्रीय पुरूष दिवस पर अश्रु अभिव्यक्ति में पुरुषों के साथ होने वाले लिंग भेद-भाव के विशेष संदर्भ में


दुःख में आँसू, सुख में आँसू।

आँखों से जब झरते आँसू।

मन को हल्का करते आँसू।

व्यक्त बहुत कुछ करते आँसू।


स्पष्ट ये करते अनकहे भाव।

पूर्ण ये करते मन के घाव।

पश्चाताप में बहते आँसू।

गुनाह हमारे धुलते आँसू।


असह्य दर्द की पीड़ा में।

मुखर बहुत हैं होते आँसू।

होते जब सुखदायी पल।

सुखद अश्रु भी छलके तब।


मिथक मात्र है यह सामाजिक।

अश्रु व्यक्त हहों जब पुरुषों में।

लोग उन्हें अति दुर्बल कहते।

कई बार कायर कहे जाते।


नर-नारी सब होते सम।

भाव भी होते उनमें सम।

तब भावों की अभिव्यक्ति में।

लिंग भेद क्यों करते हम?


ईश्वर की यह अद्भुत भेंट।

प्रकट जो होती सब में सम।

दर्द व्यक्त हो जब आँसू में।

अति सशक्त तब बनते हम।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय हाफिजपुर हरकरन, 
शिक्षा क्षेत्र-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।



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