दीपावली

तर्ज- आज पन्द्रह अगस्त है(फिल्म-क्लर्क)


दीपावली मनाओ रे, दीपावली मनाओ रे।

दीपावली मनाओ रे, खुशियों को फैलाओ रे।

दीपावली मनाओ रे, खुशियों को फैलाओ रे।

 

मस्त आज है धरती, आकाश भी मस्त है।

फैली है दीपों की रोशनी, लगता यही स्वर्ग है।

हाँ, लगता यही स्वर्ग है।


हो ओ आज आए थे श्री राम जी,

आज आए थे श्री राम जी।

खुशियाँ मनाओ देशवालों, ओ दिलवालों,

आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, 

दीप पर्व आज है। दीप पर्व आज है।

दीप पर्व आज है।

 

दीपावली मनाओ रे, मनाओ रे, 

दीपावली मनाओ रे, मनाओ रे।


मिट्टी के दीपक को जलाओ, 

कृत्रिम लाइट ना अपनाओ।

मिट्टी के दीपक को जलाओ, 

कृत्रिम लाइट ना अपनाओ।


दीपक के लौ की बात है अनोखी,

दीपक के लौ की बात है अनोखी।

कीड़ों को खत्म करे इसकी है ज्योति।


इसलिए तो कहते हैं ........

खुशियाँ मनाओ देशवालों, ओ दिल वालों।

आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, 

दीप पर्व आज है। दीप पर्व आज है।

 

दीपावली मनाओ रे, मनाओ रे, 

दीपावली मनाओ रे, मनाओ रे। 


फोड़ो ना पटाखे, आतिशबाजी,

प्रदूषण फैलाते ये हाँ जी।

त्योहार है ये कितना अनोखा, 

त्योहार है ये कितना अनोखा।

सुख-समृद्धि को पाने का मौका।

 

इसलिए तो कहते हैं ........ 

खुशियाँ मनाओ देशवालों, ओ दिलवालों।

आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, 

दीप पर्व आज है। दीप पर्व आज है।

 

दीपावली मनाओ रे। दीपावली मनाओ रे। 


बदले जमाने में क्या हमने खोया?

हमने कृत्रिमता में तन-मन भिगोया।

ऋषियों और मुनियों की बात गए भूल,

हमने कैसे बीज राहों में बोया, राहों में बोया।


शान-ओ-शौकत और ऐश्वर्य में, 

अपने प्रसिद्धि की चाहत में, 

हमने है खुद को कैसे संजोया,

खुद को ही खुद से पीछे ले गया।

खुद को ही खुद से पीछे ले गया। 


प्रकृति संरक्षण वेदों ने बताया, 

प्रकृति संरक्षण वेदों ने बताया।

प्राचीन भारत है जिसमें समाया।

जिसमें समाया। जिसमें समाया।


ज्ञान का दीपक आज जलाओ,

विश्व गुरु भारत को बनाओ।

ज्ञान का दीपक आज जलाओ, 

विश्व गुरु भारत को बनाओ।


दीप पर्व है अनुपम प्यारा, 

दीप पर्व है अनुपम प्यारा।

सारे जहाँ में है सबसे न्यारा, 

सारे जहाँ में है सबसे न्यारा।

 

इसलिए तो कहते हैं .........

खुशियाँ मनाओ देशवालों, ओ दिलवालों,

आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, आज दीप पर्व, 

दीप पर्व आज है। दीप पर्व आज है।

दीप पर्व आज है। 


रचयिता
अरविन्द कुमार सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय धवकलगंज, 
विकास खण्ड-बड़ागाँव,
जनपद-वाराणसी।



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