देव दीपावली

आओ मनाएँ देव दीपावली

उतरे हैं धरती पर देव महर्षि।


पावन मिट्टी वहाँ की

वास है शिव का जहाँ

शिव हैं पालनकर्ता, दुखहर्ता

सुखकर्ता, सृष्टि रचयिता।


लगाते हैं डुबकी श्रद्धा की 

हो जाते हैं पावन

लेते माँ गंगा से आशीर्वाद

करते रोशन बनारस के घाट।


पाएँ शांति और सुकून

रहे ना जो गंगा माँ से दूर

गंगा माँ का आंचल

है वात्सल्य से भरपूर।


जले लाखों दीपक

हर मंदिर और घाट

हुए तट गंगा के जगमग

हुए प्रकाशित काशी के घाट।


हुए हजारों दान दीपक

हुआ संपूर्ण दीपदान उत्सव

विश्व प्रसिद्ध वाराणसी देव दीपावली

जाने इस रोशनी के त्योहार को दुनिया सारी।


रचयिता
सुषमा मलिक,
सहायक अध्यापक,

कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,

विकास खण्ड-सिंभावली, 

जनपद-हापुड़।



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