बाल दिवस

तर्ज- होंठों से छू लो तुम


हे शांति दूत नेहरू तुम्हें शत-शत नमन करें,

तुम बिन मुरझाया जग, इसे कैसे चमन करें।

है अंधकार फैला,

चहुँओर उदासी है,

भारत की धरती तो,

स्नेह की प्यासी है।

एक बार पुनः आकर, स्नेह कलश भर दो।

हे शांति दूत नेहरू-----

बच्चों के प्यारे तुम,

चाचा कहते हैं तुम्हें,

बचपन खोया उनका,

संताप भरा है मन,

आकाश के तारे बन उल्लास हृदय भर दो।

हे शांति दूत नेहरू-------

भारत की माटी के,

तुम लाल बहुत प्यारे,

फिर आस करे माता,

आ जाओ नेहरू मेरे,

भँवर में फँसे हैं हम, फिर पार हमें कर दो।

हे शांति दूत नेहरू-------

संसार घिरा है अब,

धर्मों के विवादों से,

आकर के दूर करो,

दुश्मन के उन्माद को,

बन किरण प्राची की तुम जग उजियारा कर दो।

हे शान्ति दूत नेहरू तुम्हें शत-शत नमन करें।

तुम बिन मुरझाया जग, इसे कैसे चमन करें।।


रचयिता
सीमा मिश्रा,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय काज़ीखेडा,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।



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