दीवाली आने वाली है

बूढ़ी आँखों में दीये जले,

दीवाली आने वाली है।

खुशियों की झालर जगमग है,

दीवाली आने वाली है।


थी मावस की रात जिन्दगी,

जब से अपनों से हुई दूर।

रोती रहीं दो जोडी़ आँखें,

वक्त के दिए इस ग़म से चूर।।


अब दीप श्रृंखला रोशन हो,

अंधियारा हटाने वाली है।

बूढ़ी आँखों में दिये जले,

दीवाली आने वाली है।।


नाती-नातिन से चहकेगा,

वीराना सूने आँगन का।

फुलझड़ी जला जब खेलेंगे,

मुस्काएगा कोना मन का।


दादा-दादी की मधुर गूँज,

होंठों को खिलाने वाली है।

बूढ़ी आँखों में दिये जले,

दीवाली आने वाली है।।


धूल बुहार उदासी की,

नए रंगों में रंग जाएगा घर।

माँजी पिताजी के स्वर से,

भर जाएगा इसका दर-दर।


सौभाग्य पोटली बहुरानी,

रंगोली सजाने वाली है।

बूढ़ी आँखों में दिये जले,

दीवाली आने वाली है।।


जब दिल का टुकड़ा आएगा,

देगा अपना स्नेह दुलार।

बाजार खरीद के रख देगा,

खाली घर को देगा संवार।


खिलखिलाहट फटक सूप,

दलुद्दर भगाने वाली है।

बूढ़ी आँखों में दिये जले,

दीवाली आने वाली है।।


रचयिता
दीप्ति सक्सेना,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कटसारी,
विकास खण्ड-आलमपुर जाफराबाद,
जनपद-बरेली।



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