सरकारी स्कूल के बच्चे हैं हम

अंगूर के जैसे गुच्छे हैं,

आदत में सबसे अच्छे हैं,

पक्षियों से चहकते हैं,

खुशबू से महकते हैं।

मन से सीधे सच्चे हैं हम।

सरकारी स्कूल के बच्चे हैं हम।।


हर मौके का लाभ उठाते हैं,

हर मुश्किल से टकराते हैं ।

दिखने में तो मस्तमौला हैं,

असल में हरफनमौला हैं।

मन से सीधे सच्चे हैं हम।

सरकारी स्कूल के बच्चे हैं हम।।


गुरुओं के दुलारे हैं,

माँ-बाप की आँख के तारे हैं।

मन लगाकर पढ़ते हैं,

ख़्वाब नए नित गढ़ते हैं।

मन से सीधे सच्चे हैं हम,

सरकारी स्कूल के बच्चे हैं हम।।


माटी का कर्ज़ चुकाते हैं,

दुश्मन से भिड़ जाते हैं।

होठों पर मुस्कान लाते हैं,

जग में पहचान बनाते हैं।

मन से सीधे सच्चे हैं हम,

सरकारी स्कूल के बच्चे हैं हम।।


रचयिता
दिनेश कुमार,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय मंगूपुर,
विकास खण्ड-गंगीरी,
जनपद-अलीगढ़।

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