25/2024, बाल कहानी- 17 फरवरी

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बाल कहानी- करनी का फल
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एक गाँव में लीलावती नाम की औरत रहती थी। लीलावती के पास एक बकरी थी। वह जब भी उसे चराने जाती तो किसी के भी खेत में चरने के लिए छोड़ देती थी। एक दिन लीलावती ने गाँव के ही पण्डित दीनदयाल जी के खेत में अपनी बकरी छोड़ दी। जब पण्डितजी को पता चला कि लीलावती की बकरी उनका खेत चर गयी तो उन्हें बहुत गुस्सा आया। पण्डितजी ने लीलावती को डाँटा, पर लीलावती ने कहा कि-, "मेरे पास बकरी को बाँधने के लिए रस्सी नहीं है, मैं क्या करुँ?" पण्डितजी ने लीलावती को बकरी बाँधने के लिए रस्सी दे दी। परन्तु दो-तीन दिन बाद फिर वही हुआ।
इस बार पण्डितजी ने पंचायत बुलायी। पंचायत में उन्होंने बताया कि-, "लीलावती की बकरी बार-बार मेरी फसल खाकर मेरा नुकसान कर रही है। मैंने लीलावती के कहने पर उसे बकरी बाँधने के लिए रस्सी भी दे दी थी, फिर भी वह अपनी बकरी नहीं बाँधती है।"
इतना सुनते ही लीलावती चटककर बोली-, "वो सड़ी हुई रस्सी..वो तो अगले ही दिन टूट गयी थी। मेरी बकरी चौबीस घन्टे तो खूँटे से नहीं बँधी रह सकती। पण्डितजी अपने खेत की स्वयं रखवाली करें।" इतना कहकर लीलावती ने बकरी बाँधने से साफ इन्कार कर दिया। पंचायत ने भी फैसला सुना दिया कि आप अपने खेत की स्वयं रखवाली करें।" पण्डितजी निराश होकर घर लौट आये।
उधर फसलों में माऊँ और कीड़ों का प्रकोप अधिक हो चला था, जिसके कारण फसलें खराब हो रही थीं। पण्डितजी ने अपनी फसल में मात्रा से अधिक कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवा दिया। लीलावती की बकरी ने जब इस बार पण्डितजी की फसल खायी तो वह बीमार रहने लगी। लीलावती ने उसे ठीक करने के लिए डाॅक्टरों को दिखाया और महीने भर दवा खिलायी। बकरी के इलाज में लीलावती का हजारों रुपए का खर्चा हो गया, किन्तु बकरी ठीक न हुई और एक दिन भगवान को प्यारी हो गयी।
अब इस बार लीलावती ने पंचायत बुलायी तो पण्डितजी ने भी कह दिया कि-, "मैंने तो अपनी फसल की रखवाली की, लेकिन लीलावती ने अपनी बकरी की रखवाली नहीं की, जिसके कारण वह मर गयी।" पंचायत ने पण्डितजी को निर्दोष करार दे दिया और लीलावती सिर पटककर यह गयी। कहते हैं कि-, "जैसी करनी, वैसी भरनी।"

संस्कार सन्देश-
जैसा हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा ही एक दिन हमारे साथ होता है।

✍️🧑‍🏫लेखक-
राहुल शर्मा (स०अ०)
कम्पोजिट स्कूल धौर्रा
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

Comments

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति सरजी आज की

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