30/2024, बाल कहानी- 23 फरवरी
बाल कहानी- स्वच्छता
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एक दिन की बात है। विद्यालय की छुट्टी होने के बाद बच्चे विद्यालय के बाहर लगे चाट के ठेले पर चाट-समोसा खाने लगे। दूसरे दिन जब विद्यालय खुला तो कक्षा पाँच की छात्रा मुस्कान विद्यालय नहीं आयी। जब शिक्षिका ने अन्य बच्चों से मुस्कान के बारे में पूछा तो पता चला कि वह बीमार है। रात में उसे उल्टी व दस्त हो रहे थे। इसका कारण जानने के लिए शिक्षिका मुस्कान के घर चली गयी, जो विद्यालय के समीप ही था। वहाँ जाकर पता चला कि मुस्कान ने कल शाम को विद्यालय से घर जाते समय चाट-समोसे खाये थे। उसके बाद से ही उसकी तबीयत खराब हो गयी। शिक्षिका शाम को छुट्टी के समय उसी चाट के ठेले के पास रूकी। वहाँ उसने देखा कि ठेले पर मक्खियाँ भिन्न-भिन्ना रही हैं और वहाँ आसपास गन्दगी भी है।
दूसरे ही दिन शिक्षिका ने विद्यालय में सभी बच्चों को प्रार्थना-सभा के समय ही साफ-सफाई के बारे में समझाया। और बताया कि-, "खुले में रखी हुए खाने-पीने की वस्तुओं को नहीं खाना चाहिए। गन्दी जगह एवं जिस खाने पर मक्खियाँ बैठी हों, वह भी नहीं खाना चाहिए। खाने से पहले अपने हाथों को अवश्य धोना चाहिए। इसके बाद उन्होंने हाथ धोने के तरीके को भी कविता के माध्यम से बताया कि कैसे हमें अपने हाथों की सफाई करनी चाहिए।
संस्कार सन्देश-
बार-बार हाथों को धोने से होती दूर बीमारी। रखो साफ -सफाई का ध्यान यही सबसे बड़ी है हमारी जिम्मेदारी।।
✍️👩🏫 लेखिका-
रचना तिवारी (प्र०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा पुनावली-कलां (झाँसी)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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