33/2024, बाल कहानी- 28 फरवरी
बाल कहानी- पहचान
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एक बार मुकेश अपने दोस्तों के साथ रोज की तरह स्कूल गया। उस स्कूल में राहुल नाम का लड़का नया-नया आया था। सभी ने उसकी ओर अपना मित्र बनाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन उसने किसी की मित्रता स्वीकार नहीं की। उसे स्वयं पर बहुत ही अहंकार था। सभी उसके इस व्यवहार से अचम्भित थे। वह किसी से बात भी नहीं करता था। वह पढ़ने में होशियार था। कक्षा में अध्यापक जो भी पढ़ाते, वह तुरन्त समझ जाता था। अध्यापकों के द्वारा विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछने पर वह तुरन्त सबके उत्तर दे देता था।
एक दिन बच्चों द्वारा बताए जाने पर कक्षा-अध्यापक ने राहुल से पूछा कि-, "क्या बात है, क्या तुम्हें यहाँ के बच्चे अच्छे नहीं लगते हैं?"
राहुल ने कहा कि-, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो किसी अच्छे मित्र की तलाश में हूँ। मेरे माता-पिता ने कहा था कि मित्रता हमेशा अच्छे लोगों और बराबरी वालों के साथ करनी चाहिए, जो सदा तुम्हारे काम आये।"
अध्यापक राहुल की बात सुनकर बहुत खुश हुए और बोले कि-, "जानते हो राहुल, सभी बच्चे तुम्हें क्या समझते है? वे तुम्हारे इस प्रकार के वर्ताव को देखकर तुम्हें अहंकारी समझते हैं। वे कहते हैं कि राहुल को होशियार होने के कारण बहुत घमण्ड है।"
"लेकिन मैं घमण्डी नहीं हूँ सर! मैं तो सिर्फ उन्हें परख रहा हूँ।"
"ये तो मैं भी जानता हूँ राहुल! लेकिन परखने का ये तरीका गलत है। तुम्हें सबके साथ उठना-बैठना चाहिए। सबके साथ पढ़ना-खेलना चाहिए। सबके साथ रहते हुए ही तुम अच्छे मित्रों की पहचान कर सकते हो।"
"सर! ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। आज से मैं सभी के साथ पढूँगा, खेलूँगा और सबसे बातें करूँगा।" राहुल की बात सुनकर कक्षा-अध्यापक बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सभी बच्चों से कहा कि, "आज से राहुल तुम सबके साथ पढ़ेगा, खेलेगा और बातें करेगा।" यह सुनकर सभी बच्चे बहुत प्रसन्न हुए।
संस्कार सन्देश-
हमें सभी के साथ मिलकर रहना चाहिए, तभी हम अच्छे और बुरे में पहचान कर पायेंगे।
✍️🧑🏫लेखक-
जुगल किशोर त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
बहुत सुन्दर
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