27/2024, बाल कहानी- 20 फरवरी
बाल कहानी- चॉकलेट
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रोहन अपनी नयी साइकिल से बाजार जा रहा था। उसे घर का कुछ सामान लाना था। माँ ने एक लम्बी सूची दी थी। रोहन बहुत खुश था, क्योंकि बहुत दिनों बाद रोहन को दस रुपये चॉकलेट खाने को मिले थे।
रोहन ने देखा कि रास्ते में एक बुजुर्ग व्यक्ति धीरे-धीरे पैदल चलते हुए लड़खड़ा रहे हैं। रोहन ने अपनी साइकिल रोक कर बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा-, "दादा जी! आप कहाँ जा रहे हैं? आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही है!" वे बोले, "हाँ, बेटा! मैं बहुत दिनों से बीमार हूँ। डॉक्टर के पास जा रहा हूँ। कई घण्टे पहले से घर से निकला हूँ, पर मुझे चक्कर आ रहा है। इसलिए रुक-रुककर जा रहा हूँ।"
रोहन ने अपनी साइकिल पर दादाजी को बैठाने की कोशिश की, परन्तु असफल रहा। इसलिए रोहन ने दादा जी को एक पेड़ के नीचे बैठा दिया। वह थोड़ी दूर जाकर एक ऑटो रिक्शा बुला लाया। लोगों की मदद से रोहन ने दादा जी को ऑटो रिक्शा में बैठा दिया। दादा जी ने रोहन को खूब दुआ दी। उसके बाद रोहन बाज़ार से सामान ले आया। माँ ने सामान देख कर कहा-, "सामान तो तुम ठीक लाये हो, पर तुम्हारी चॉकलेट कहाँ है?" रोहन ने माँ के सवाल पर रास्ते का सारा किस्सा बता दिया। माँ को रोहन पर बहुत गर्व महसूस हुआ। माँ ने रोहन को गले से लगाकर नेक काम की शाबाशी दी। वह रोहन को दोबारा दस रुपये देते हुए बोली-, "जाओ! एक चॉकलेट ले आओ। हम दोनों लोग मिलकर खाते हैं।"
रोहन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह बहुत खुश हुआ। उसने माँ को प्यार से धन्यवाद कहा और चॉकलेट लेने चला गया।
संस्कार सन्देश-
हालात कैसे भी हों, हमें सदैव लोगों की मदद करनी चाहिए।
✍️👩🏫लेखिका-
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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