मीना की कहानियाँ
मीना के जन्मदिन को आओ, मिलकर मनाएँ।
मीना की कहानियाँ हम आओ सबको सुनाएँ।।
(मुर्गियों की गिनती)
मीना ने मुर्गियों की गिनतियाँ भी खूब कीं।
कम होती मुर्गियों की चोरियाँ यूॅं ढूँढ लीं।।
खोजा जो चोर को तो देख शोर मचाया।
मिट्ठू की सहायता से चोर पकड़ आया।।
हिम्मत है कितनी मीना में ये सबको बताएँ।।
(आम का बँटवारा)
बँटवारा आम का माँ ने था इस तरह किया।
कर भेदभाव मीना राजू कम अधिक दिया।।
फिर एक दिन राजू मीना ने काम यूॅं बदले।
दोनों ही फिर एक-दूसरे के दर्द को समझें।।
यह भेदभाव दुनिया से हम अब दूर भगाएँ।
(छोटी-सी दुल्हन)
कम उम्र में रीता की शादी की जब खबर सुनी।
सुनकर खबर ये मीना के उर में कसक मिली।।
मिलकर चाचा - चाची को सब समझाए बहुत।
कम उम्र शादियों के नुक़सान बताए थे बहुत।।
पनपी हुई इन रुढ़ियों को हम जड़ से मिटाएँ।
मीना के जन्मदिन को आओ, मिलकर मनाएँ।
मीना की कहानियाँ हम आओ सबको सुनाएँ।।
रचयिता
राजवीर सिंह 'तरंग',
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय सिलहरी,
विकास क्षेत्र-सिलहरी,
जनपद-बदायूँ।
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