लता मंगेशकर
सुर सामाग्री हो लता मंगेशकर,
सुर सरिता की तुम हो आधार।
'स्वर कोकिला' तुम सरस भैरवी,
सत्यम् शिवम् सा, गातीं मल्हार।।
राग-रागिनियों की, साथी तुम,
ध्रुपद, धमार, भजन गातीं तुम।
तुम हो सरगम की लता सरीखी,
सुर सँवारतीं सप्त माला सी तुम।।
सुबह की अरदास, भजन में तुम हो
हर हिंदुस्तानी की धड़कन में तुम हो।
पाँव पसारे तपती दुपहरी जब आये
सुखद एहसास छाया गीतों में तुम हो।।
सर्द हवाएँ जब जी ललचाएँ,
गीत तुम्हारे मन को बहलाएँ।
दर्द हो या बिरह भरी हो रातें,
गीत तुम्हारेअपनत्व हैं लाते।।
देश प्रेम में तुमने, जब भी गीत गाया,
नम हुई आँखें, सबने आँसू बरसाया।
उदास मन जब, वरण मृत्यु को चाहे,
प्रेरणा भरे गीतों ने जीवन दिखलाया।।
बीस से अधिक भाषाओं में गाना गाया
'गिनीज बुक' में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया।
'भारत रत्न' पुरस्कार पाया है तुमने,
सदा नंगे पाँव ही तुमने गाना गाया।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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