ओज कवि रामधारी सिंह दिनकर
उर्वशी काव्य नाटक से प्रसिद्धि पाई,
प्रेम और सौंदर्य की परिभाषा बताई।
प्रेम में जीवन दर्शन का था समागम,
रामधारी सिंह दिनकर ने धूम मचाई।।
तेईस सितंबर 1908 में बिहार में जन्म लिया,
माता-पिता को था इन्होंने धन्य किया।
पटना विश्वविद्यालय से शिक्षा पाई,
लेखक कवि निबंधकार का जीवन जिया।।
विद्रोही कवि और राष्ट्र कवि के रूप में विख्यात,
छायावादोत्तर कवियों की पहली पीढ़ी के कवि प्रख्यात।
ओज, विद्रोह, आक्रोश और क्रांति की पुकार,
कोमल श्रृंगारिक भावनाओं की भी थी बरसात।।
कुरुक्षेत्र, उर्वशी, हुंकार उल्लेखनीय कार्य,
परशुराम की प्रतीक्षा, हाहाकार प्रशंसनीय कार्य।
सामाजिक, आर्थिक, समानता की झलक,
भूषण के बाद वीर रस के कवि स्वीकार्य।।
"उर्वशी" ने ज्ञानपीठ पुरस्कार था पाया,
"संस्कृति के अध्याय में" साहित्य अकादमी आया।
1959 में "पद्म विभूषण" उन्होंने पाया,
1968 में" साहित्य चूड़ामणि" पाकर मन हर्षाया।।
24 अप्रैल 1974 को चिरनिंद्रा में सोया सितारा,
कविता, खंडकाव्य, निबंध, समीक्षा में साहित्य सारा।
आदमी था मस्तमौला और कवि बेजोड़ था,
काव्य धारा को दिया इसने नया एक मोड़ प्यारा।।
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