राष्ट्रीय उपभोक्ता संरक्षण दिवस

प्रत्येक व्यक्ति होता है, एक उपभोक्ता,

वस्तुओं-सेवाओं का प्रयोगकर्ता है उपभोक्ता।

उपभोक्ता का कल्याण एवं अधिकार है जरूरी,

वस्तुओं के लिए भुगतान करने वाला है उपभोक्ता।।


खरीदार और विक्रेता में होता है एक रिश्ता,

पैसा है उपयोगी, खतरा होता है बड़ा सस्ता।

सरकार द्वारा हर सेवाओं की तय है कीमतें,

बाजार शोषण से बचाने का है यह एक रास्ता।।


उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत,

यह 1986 में, राष्ट्रपति अनुमोदन से बना।

24 दिसम्बर संरक्षण दिवस के रूप में,

उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा हेतु इसे चुना।।


वर्ष 1991 और 1993 में संशोधित हुआ,

भारत में पहली बार, सन् 2000 मनाया गया।

'जागो ग्राहक जागो' के स्लोगन से,

उपभोक्ता संरक्षण जागरूकता लाया गया।।


रचयिता

वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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