शिक्षक दिवस

कभी डाँट कर कभी प्यार कर,

 हमको  जो पढ़ना सिखलाता है।


कभी डरा कर कभी समझा कर,

मंजिल की राह दिखाता है।


कभी मार के कभी पीठ ठोंक कर, 

साहस का भाव जगाता है।


कभी खेल में कभी दौड़ में, 

हिम्मत, उत्साह जगाता है।


कभी कहानी कभी गीत से,

 प्रेरणा हम में  भर जाता है। 


कभी प्यार से कभी दुलार से, 

भय मुक्त परिवेश बनाता है।


 कभी नीत की कभी नैतिकता की, 

हम सब में खाद लगाता है। 


कभी स्वच्छता कभी स्वास्थ्य का,

 जागरूकता का पाठ पढ़ाता है।


सच में वो शुभचिंतक गुरू ही है, 

जो हमको सर्वोच्च शिखर पहुँचाता है।


रचनाकार

दीपमाला शाक्य दीप,

शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।



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