निपुण

आओ हम तुमको निपुण बनाएँ,

जीवन जीने का ढंग बतलाएँ।


क ख ग घ की सरगम से,

एक नया संगीत बनाएँ।

हो नतमस्तक विनम्रता से,

माँ सरस्वती को हृदय बसाएँ।

आओ हम तुमको निपुण बनाएँ.....


वन टू थ्री के अंकों से हम, 

आओ मिलकर गणित लगाएँ।

जीवन के हर पहलू का,

हिसाब लगाना तुम्हें सिखाएँ।

आओ हम तुमको निपुण बनाएँ।


तुम ही तो हो भविष्य देश के,

आओ हीरे सा तुम्हें दमकाएँ।

मेहनत और ईमान धर्म से,

सफलता की सीढ़ी चढ़ना सिखाएँ,

आओ हम तुमको निपुण बनाएँ।


अपने सपने पूरा करने को,

आशाओं के पंख लगाएँ।

कहीं रहे ना अंधेरा अज्ञान का,

शिक्षा के दीप हर घर में जलाएँ,

आओ हम तुमको निपुण बनाएँ।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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