अन्तर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस

हाथों, चेहरे एवं शरीर के हाव भाव से,

बातचीत करना, साइन लैंग्वेज कहा जाता है।

मूक बधिर व्यक्तियों के लिए,

सांकेतिक भाषा महत्वपूर्ण माना जाता है।।


बिना बोले, बिना सुने बातें करना,

तरह-तरह के संग कैसे इजहार करना।

रोजमर्रा का जीवन हो जाए आसान,

सांकेतिक भाषा से तब संचार करना।।


23 सितंबर वर्ष 1991 में,

विश्व फैडरेशन आफ डेफ स्थापित हुआ।

बधिर लोगों के 135 राष्ट्रीय संघों का संघ है,

बधिर लोगों के मानवाधिकार पर शुरुआत हुआ।।


अंतर्राष्ट्रीय संकेतिक भाषा दिवस पहली बार

23 सितम्बर, 2018 में  मनाया गया।

बधिर लोगों के जीवन के मुद्दे पर,

जागरूकता को बढ़ावा दिया गया।।


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,

अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,

विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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