गुरु जी

तर्ज - गा रहा हूँ इस महफिल में


सिर उठा के जीना हमको,

बस आपने सिखाया है।

आज हैं हम जो कुछ भी,

गुरु जी आपकी ही माया है।

गुरु जी हमने तुमको,

नित दिल में बसाया है।

आज हैं हम जो कुछ भी,

गुरु जी आपकी ही माया है।


ज्ञान की गंगा में,

सदा हमको नहलाया है।

हर मुश्किल का हल,

गुरु जी आपने बताया है।

कठिन डगर पे हमको,

चलना सिखाया है।

आज हैं हम जो कुछ भी,

गुरु जी आपकी ही माया है।


डाँट लगा हमको,

गले से लगाया है।

कभी हमको हँसाया,

कभी हमको रुलाया है।

हमको संस्कारों से,

तुमने सजाया है।

आज हैं हम जो कुछ भी,

गुरु जी आपकी ही माया है।


खून पसीना अपना,

गुरु जी आपने बहाया है।

करें राष्ट्र सेवा हम,

इस लायक बनाया है।

खुशहाल जीवन हमने,

आपसे ही पाया है।

आज हैं हम जो कुछ भी,

गुरु जी आपकी ही माया है।


रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।



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