बालमन की कविताएँ

 (1)

           जोकर

सर टोपी और हाथ रुमाल,

जोकर करता बड़ा कमाल।

लोटपोट और उछलकूद कर,

हँसा-हँसा कर करे धमाल।।


पहने लटकन भरा झिंगोला,

बाजू लटकाकर के झोला।

मटक-मटक करता बेहाल,

करतब करती नटखट चाल।।


(2)

      चोर-सिपाही

सिपाही ने पकड़ा चोर,

जिसका गाँव गली में शोर।

की डंडे से बहुत पिटाई,

बनकर नाच रहा था मोर।।


कान पकड़कर माँगे माफी,

अबकी छोड़ भी दो सरकार।

कल से मेहनत और मजदूरी,

उसी में खुशियों की भरमार।।

                     

(3)

         आलू मटर

आलू और मटर दोनों ही,

चले एक दिन साथ।

चलते-चलते बीच राह में,

बिगड़ गई कुछ बात।।


मूली गाजर ने समझाया,

जब एक हमारा खेत।

छोटी-छोटी सी बातों पर,

क्यों रखना फिर मतभेद।।

   

(4)

          जंगल 

लगाई शेर ने बड़ी दहाड़,

हाथी साथ रहा चिंघाड़।

भाग रहे सब चीते भालू,

गिरा हो जैसे कोई पहाड़।।


हिरन, लोमड़ी और सियार,

सभी दिख रहे हैं लाचार।

है जंगल में कोलाहल कैसा,

नहीं कर रहा कोई विचार।।


रचयिता
कृष्ण कुमार अक्षज,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रामपुर की मड़ैया, 
विकास खण्ड-भाग्यनगर, 
जनपद-औरैया।

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