महके बसंत

स्वागत कर लो आज

 बना यह सारा साज।

उपवन खिले देखो

महके बसंत के फूल।


फैली चहुँदिश देखो

हरी-हरी हरियाली।

बसंत मौसम आया

मिटेंगे उर के शूल।


बसंत जब भी आता

खुशी के पैगाम लाता।

सब जन जाते  तब

ताड़क गरमी भूल।


करलो स्वागत तुम

मौसम सुहाना यह।

मिलेगी अब तो मुक्ति

ऋतु जो उड़ाये धूल।।


रचयिता
ओम प्रकाश श्रीवास्तव,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय उदयापुर, 
विकास खण्ड-भीतरगाँव,
जनपद-कानपुर नगर।


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