लता दीदी

माँ सरस्वती का रूप थीं

 जगत में महान थी।

आवाज में मिठास का जादू था,

गले मे सात स्वरों का वास था।

मंगेशकर बहनों में उज्ज्वल थीं,

माँ-पिता की आशा थीं।

दुनिया मे नाम करती थीं,

गाने में जादू भरती थीं।

भारत रत्न तो छोटा था,

हर पुरस्कार बौना था।

सदियों में न आएगी यह मीठी आवाज,

कैसे होगा अब संगीत का रियाज़।

हर भाषा में गीत गाए हैं,

लता दीदी  आप तो  महान हो।

क्या लिखूँ हर  शब्द  दुःखी है,

माँ सरस्वती के रूप आपको नमन है।


रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।

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