बसन्त पंचमी

ऋतुराज बसन्त का हुआ आगमन,

नये पत्तों-कोपलों का जन्म हुआ।

शरद ऋतु की हो रही है विदाई,

फाल्गुन के रंगों की आहट सी आई।। 


धरती पर पीली सरसों लहराई,

पीली-पतंग के साथ नभ मुस्काया।

घर-घर में पीली खिचड़ी पकाई,

पीले कपड़े पहन के खुशियाँ छाईं।। 


सरस्वती माता का प्राकट्य दिवस आज,

बसंत पंचमी नाम से जाना जाता है।

हर शुभ काम में है पीले रंग का महत्व,

हल्दी, पीला धागा, पीला कार्ड शुभ माना जाता है।।


रचयिता

शालिनी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय बनी, 

विकास खण्ड-अलीगंज,

जनपद-एटा।

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