शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा या कहें कोजागरी पूर्णिमा,

हिंदू पंचांग कहे अश्विन मास की पूर्णिमा,

कौमुदी व्रत इसे नाम दिया गया,

16 तरह से परिपूर्ण होता चंद्रमा।।


श्री कृष्ण ने इसी दिन महारास रचाया,

चंद्रमा की किरणों से अमृत है बरसाया।

उत्तर भारत में खीर बनाकर रखने का विधान,

विधिपूर्वक स्नान, उपवास रखके जितेंद्रिय बतलाया।।


मांगलिक गीतों के साथ करें रात्रि जागरण,

लक्ष्मी जी को संतुष्ट करने का है आवरण।

इस लोक में समृद्धि देती हैं माँ लक्ष्मी,

परलोक में भी होता सद्गति का वरण।।


चंद्रमा होता सबसे निकट धरती के,

मनाया चंद्रमा की दूधिया बीच रोशनी के।

चंद्र देव की पूजा होती शुभकारी,

मान्यता है मनाने की सर्वकामना पूर्ति के।।


शब्दों में सबके बरसे है अमृत,

नजरों में ना हो किसी के तिजारत।

भूल से भी कभी किसी से ना हो झगड़ा,

मत करना तुम कभी कोई कड़वी बात।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।


Comments

Total Pageviews