सिद्धिदात्री दुर्गा माता

नवम रूप सिद्धिदात्री का होता,

वरदानों का यह सिद्ध रूप होता।

कमल पुष्प पर मैया विराजे,

हाथों में शंख, चक्र, गदा रहता।।


शक्ति पूजन का बताएँ हैं विधान,

विजय प्राप्ति का शुरू अभियान।

महासरस्वती को जो कोई पूजे,

विद्या बल प्राप्ति का मिले वरदान।।


यक्ष, किन्नर, गंधर्व सब माँ को ध्यावें,

नाग देवी देवता सब मैया को पूजें।

नवरात्रि के 9 दिनों का फल प्राप्त होता,

कमल का फूल मैया को अति प्यारा।।


चौमुखी दीपक से करें आराधना,

दूर करो भैया इस मन की वासना।

स्वार्थ में फँसा है मानव का मन,

तुम ही करो अब पूरी यह कामना।।


महिमा तुम्हारी ना जाए बखानी,

कृपा करो मेरी माता वरदानी।

दर तेरे आए हम सवाली,

भर दो भक्तों की झोली महारानी।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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