राष्ट्रपिता महात्मा गांधी

दो अक्टूबर को दुनिया में

 था एक नन्हा बच्चा आया 

अपने कर्मों की बदौलत

 वो राष्ट्रपिता कहलाया


पुतलीबाई की आँख का तारा

 चमका विश्व में सूरज बनके

तन पर सूती धोती पहने 

चलता था सिर उठा, वो तन के

सादा जीवन उच्च विचार का

 सिद्धांत था जिसने अपनाया

अपने कर्मों की.......... 


 अमीर परिवार में पैदा होकर भी

 छोड़ दिया सब भोग विलास 

आजादी की लड़ाई में कूद पड़ा 

बन कर भारत की वो आस  

जिसके आगे पूरे देश ने 

अपना शीश झुकाया

अपने कर्मों की............... 


सत्य अहिंसा और धर्म को 

साथ लेकर चलता था साबरमती का संत

इन हथियारों के दम पर ही उसने

आज़ादी दिलाई, कर दिया गुलामी का अंत 

खदेड़ कर अंग्रेज़ों को देश से,

राष्टध्वज फहराया

अपने कर्मों की............. 


रचयिता

भावना तोमर,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय  नं०-1 मवीकलां,

विकास खण्ड-खेकड़ा,

जनपद-बागपत।



Comments

Total Pageviews