माता शैलपुत्री

नाम सुनो प्रथम मैया का,

    शैलपुत्री नाम अति सुहाए। 

        सुता हिमालय पर्वत की हैं,

           तभी तो शैलपुत्री कहाएँ।।


 वृषभ वाहन है देवी का,

    बाएँ हस्त साजे त्रिशूल।  

       वृषारूढा़ नाम भी जानो,

           बाएँ हस्त कमल का फूल।।


  वन्य जीव जंतुओं की,

     रक्षक माँ को माना जाए।

        आपदा रोग व्याधि के,

           खतरों से माता बचाएँ।


 पूर्व जन्म में थीं दक्षपुत्री,

     विवाह हुआ था महादेव से।

        हुआ अपमान पति का तो,

           स्व तन त्यागा योगाग्नि से।।


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।



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