पितृ विसर्जन

धरती पर आए पितरों की वापसी,

परंपरा सभी आज माने हैं ऐसी।

पितरों के निमित्त ब्राह्मणों को भोजन,

दान-दक्षिणा देकर विदा करने की संस्कृति।।


अश्विन मास की अमावस्या को मनाएँ,

पितृ पक्ष का समापन पर्व भी कहाए।

श्रद्धा भाव से तर्पण करने का उल्लेख,

हिंदू पुराण ऐसी मान्यता बताएँ।।


घर के बड़ों को यदि दें पूरा सम्मान,

श्राद्ध क्रिया का नहीं फिर विधान।

तर्पण करने से यदि मिले आशीर्वाद,

जीवित, घर के बुजुर्गों का रखें मान।।


पूर्वजों की तिथि यदि हो अज्ञात,

अमावस्या के दिन श्राद्ध की है बात।

हिंदू पंचांग ऐसी विधि बताएँ,

गरीबों के भोज से बन जाए बात।।


समय रहते यदि किया जाए मान,

मृत्युपर्यन्त भोज का क्या विधान।

बोझ नहीं आशीर्वाद हैं बुजुर्ग,

उन्हें कराएँ उनके महत्व का भान।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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