विश्व प्रकृति दिवस

प्रकृति से मिलता वायु, जल, थल,

प्रकृति में निहित है जीवन का हल।

कल-कल करती, नदियाँ हैं बहतीं,

फसल लहराये, देती हमें है  फल।।


भँवरे  गुँजन  करते हैं  उपवन,

चिड़ियों का कलरव  हरते मन।

प्रकृति देती  सब को प्राण वायु,

जीव-जंगल से अनुपम है वन।। 


प्रकृति अस्मिता को  लगा ग्रहण,

प्रकृति रक्षा को करो सोच गहन। 

वन्य जीव संरक्षण को साथ आयें

प्रकृति संरक्षण-संवर्धन को करें मनन।।


आधुनिकता की इस दौड़ से बचें, 

शहरी व औद्योगिककरण से बचें।

वन संवर्धन हरियाली को अपनायें,

संसाधनों को सहेजें, उन्हें बचायें।।


प्रकृति रक्षा को  हम कदम उठायें, 

संरक्षण करें और पेड़-पौधे लगायें। 

प्रकृति का श्रृंगार करें हम मिलकर,

विश्व प्रकृति दिवस हम सब मनायें।। 


रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी, 
जनपद-जौनपुर।

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