चलो ज्ञान का अब दीप जलायें

चलो ज्ञान का अब दीप जलायें
अशिक्षा को धरा से दूर भगायें ၊

पढ़-लिखकर हम नाम कमायें,
सब के मन में आस जगायें ၊

गांव शहर अब फैले शिक्षा ,
साक्षरता की अलख जगायें ၊

निशा की कालिख अब नहीं होगी ,
नवप्रभात का जो मरहम लगायें ၊

हर बच्चे में बसे संस्कार अब,
सभ्यता की चांदनी यूँ बिखरायें ၊

खूबसूरत हो निखार बेसिक का ,
पूर्वाग्रह अब बदल कर दिखलायें ၊

कुशल कर्मठ नौनिहाल हो अब
कठिन डगर जो लक्ष्य बनायें ၊

संकल्प मन में धर लिया अब से
बेसिक की सर्वत्र अब जय-जयकार लगायें ၊

चलो ज्ञान का अब दीप जलायें
अशिक्षा को धरा से दूर भगायें ၊

रचयिता
वन्दना यादव " गज़ल"
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक ,
डोभी , जौनपुर।

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